इतना बड़ा सच - (भाग 1) Kishanlal Sharma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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इतना बड़ा सच - (भाग 1)

कमला को गेट तक विदा करके ज्यों ही सुधा ने पीठ मोड़ी, रमा के खिलखिलाने की आवाज उसके कानों मे पड़ी थी।रमा की हंसी की आवाज सुनकर उसके कदम किचिन की तरफ बढ़ गए।
किचन मेंं शिखा सब्जी काट रही थी।रमा उसके पास बैठी थी।वह उसकी किसी बात पर हंंस रही थींं।
"रमा--
रमा ने पीछे मुडकर देखा तो सहम गई।सुधा का चेहरा गुस्से में तमतमाये तवे सा सुर्ख लाल हो रहा था।माँ के इस रूप को देखकर उसकी हंसी गायब हो गई।उसके गले से मरी सी आवाज निकली,"जी मम्मी।"
"अपने कमरे में जाओ,"सुधा आदेशात्मक स्वर में बोली,"शिखा के पास मत बैठा करो।"
सुधा इतना कहकर बैडरूम में चली गई।रमा ने शिखा को देखा जरूर लेकिन दोनों में से बोली कोई नही।अनाम सी खामोशी दोनो के बीच छा गई।कुछ देर पहले सुधा,कमला से हंस हंस कर बाते कर रही थी।लेकिन कमला के जाते ही सुधा को क्या हो गया?
उसके व्यवहार में अचानक आये परिवर्तन का कारण रमा और शिखा कि समझ मे भी नही आया था।रमा चुपचाप उठकर चली गई।किचिन में शिखा अकेली रह गईं।
रात को रामबाबू घर लौटे तो घर की दहलीज पर कदम रखते ही उन्हें ऐसा लगा कि आज घर खोया खोया सा है।अन्य दिन वे घर लौटते तो उन्हें शिखा और रमा की हंसी बाहर ही सुनाई पड़ जाती थी।बरामदे में सुधा उनके इन्तजार में बैठी मिलती।
लेकिन आज न उन्हें शिखा और रमा की हंसी सुनाई पड़ी और न ही सुधा बरामदे में बैठी हुई मिली।रामबाबू समझ गए कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है।कोई बात है,जो घर मे सन्नाटा पसरा है।
"रमा,"घर मे घुसते ही उन्होंने बेटी को आवाज लगाई थी।सोफे पर बैठते हुए उन्हें आश्चर्य हो रहा था।बेटी रमा,पत्नी सुधा और बहू शिखा में से कोई उन्हें नज़र नही आ रहा था।क्या हो गया है आज सबको।
रामबाबू पहली बार इतनी खामोशी,सन्नाटा अपने घर मे देख रहे थे।
कही कोई अनिष्ट- - -और इस आशंका से वह सिहर उठे।
"जी। पापा।"रमा अपने पापा के सामने आ खड़ी हुई
"क्या बात है बेटी"?रामबाबू ने अपनी बेटी को इतना उदास,खामोश और उदास नही देखा था,"क्या कोई बात या लड़ाई झगड़ा हुआ है घर मे?"
"नही पापा।"रमा धीरे से बोली थी।
"फिर तुम उदास क्यो हो?"रामबाबू बेटी के चेहरे की तरफ देखते हुए बोले।
"ऐसे ही।"रमा फीकी सी हंसी हंसी थी।
रामबाबू समझ गए,रमा उनसे कुछ छिपा रही है।पर बेटी से ज्यादा पूछना उन्होंने उचित नही समझा।इसलिए बोले,"तुम्हारी मम्मी कहा है"?
"बैडरूम में"।
"क्यो?"रामबाबू बेटी की बात सुनकर चोंकते हुए बोले,"क्या तबियत खराब है"।
पत्नी के इतनी जल्दी बैडरूम में जाने पर उन्हें आश्चर्य हो रहा था।सुधा सबसे बाद में सोती थी।बेटी ने कोई सन्तोषजनक जवाब नही दिया।तब रामबाबू बोले,"तुम आराम करो।"
रमा चली गईं।
सुधा सुलझी हुई,समझदार पत्नी थी।तीस साल के दाम्पत्य जीवन मे उसने कभी भी राम बाबू को शिकायत का मौका नही दिया था।हर समय हंसते, मुस्कराते रहना उसका स्वभाव था।उनकी बेटी रमा और बेटे पंकज ने भी विरासत में माँ का ही स्व्भाव पाया था।राम बाबू ने कभी भी पत्नी को जोर से बोलते या नाराज होते हुए नही देखा था।उसका खुशमिजाज स्व्भाव उन्हें बहुत पसंद था।लेकिन बेटे की शादी होते ही उसके स्वभाव में परिवर्तन आ गया था।